अंदर कि बात...........

वो ना बहुत अच्छी थी पर ना confusing थी।उसके साथ साथ easy लगता था और forever पर भरोसा भी होने लगा; Attraction और feeling पहली बार एक साथ आई,ये सबको बताने लगा,पर शायद ये देखना ही भूल गया कि सब सिर्फ मैं ही कह रहा था।उसे अपना बुलाने की खुशी शायद मुझे ज्यादा हो रही थी।उसे चाहना तो था पर उससे ज्यादा नहीं,उसे पाना था पर खुद को खो कर नही। दोनो को equal होने वाला ईश्क पता है मिलना मुश्किल है पर ऊपर नीचे वाले मैं ना सिर्फ धोखा है,ये जानता था। इसलिए नहीं कर पाया। नही कह पाया की,वो बहुत अच्छी है पर confusing हैं।
                                   Unknown writer.

पर न जाने क्यों ये अल्फाज हमारी हालातो से बहुत मिलते जुलते है, इसलिए social media से उठा कर यहां copy paste कर दिया।😅😌

                                                   -NP

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